Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2023 · 1 min read

दोस्ती

इस बार मैंने उनसे पूछ ही बैठा….”दोस्ती करोगी मुझसे?”
वह बोली…..”क्या तुम्हारी नजर में शारीरिक संबंध का नाम ही दोस्ती है? नहीं….नहीं, मैं ऐसे दोस्ती नहीं करना चाहती. मैं तुम्हें नहीं, तुम्हारे व्यक्तित्व को चाहती हूं, तुम्हारे अंदर के रचनाकार को चाहती हूं और मैंने एक जमाने से उससे दोस्ती भी कर रखी है. इसका जिंदा सबूत वो गुमनाम बधाई खत है, जो अखबारों में तुम्हारे रचना प्रकाशन के हर चौथे रोज बाद तुम्हें मिल जाते हैं. जानते हो वो खत किसके होते हैं? वो खत मैं ही भेजा करती हूं.”
उसका जवाब सुन मैं अवाक रह गया.

✍️_ राजेश बंछोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024

2 Likes · 366 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजेश बन्छोर
View all
You may also like:
3764.💐 *पूर्णिका* 💐
3764.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
दर्द देह व्यापार का
दर्द देह व्यापार का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"मेरा निस्वार्थ निश्चछल प्रेम"
विकास शुक्ल
गुज़ारिश है रब से,
गुज़ारिश है रब से,
Sunil Maheshwari
ज़िंदगी को अगर स्मूथली चलाना हो तो चु...या...पा में संलिप्त
ज़िंदगी को अगर स्मूथली चलाना हो तो चु...या...पा में संलिप्त
Dr MusafiR BaithA
चाँद
चाँद
Atul "Krishn"
साधना  तू  कामना तू।
साधना तू कामना तू।
Ramnath Sahu
जल का अपव्यय मत करो
जल का अपव्यय मत करो
Kumud Srivastava
पागल प्रेम
पागल प्रेम
भरत कुमार सोलंकी
*जिह्वा पर मधु का वास रहे, प्रभु ऐसी श्रेष्ठ कृपा करना (राधे
*जिह्वा पर मधु का वास रहे, प्रभु ऐसी श्रेष्ठ कृपा करना (राधे
Ravi Prakash
अध्यात्म
अध्यात्म
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
वक्त आने पर भ्रम टूट ही जाता है कि कितने अपने साथ है कितने न
Ranjeet kumar patre
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*प्रणय प्रभात*
*पर्वतों की सैर*
*पर्वतों की सैर*
sudhir kumar
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
निःशुल्क
निःशुल्क
Dr. Kishan tandon kranti
*बाल गीत (पागल हाथी )*
*बाल गीत (पागल हाथी )*
Rituraj shivem verma
मन नहीं होता
मन नहीं होता
Surinder blackpen
नित तेरी पूजा करता मैं,
नित तेरी पूजा करता मैं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जनक दुलारी
जनक दुलारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
parvez khan
अधरों के बैराग को,
अधरों के बैराग को,
sushil sarna
*आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए*
*आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कहने की कोई बात नहीं है
कहने की कोई बात नहीं है
Suryakant Dwivedi
तुम सम्भलकर चलो
तुम सम्भलकर चलो
gurudeenverma198
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।
Paras Nath Jha
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
ग़ज़ल _ धड़कन में बसे रहते ।
Neelofar Khan
हर नदी अपनी राह खुद ब खुद बनाती है ।
हर नदी अपनी राह खुद ब खुद बनाती है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...