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7 Feb 2022 · 1 min read

दोष किसका

कांटे को देख
उसे फूल समझे
वह चुभ जाये तब भी
उसे फूल ही समझे
वह तन जख्मी कर दे
मन अपवित्र कर दे
आत्मा लहूलुहान कर दे
तब भी उस निष्ठुर को कोई
कोमल ही समझे तो
दोष किसका है
कांटे का या
उसे समझकर भी
न समझने वाले का।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
Tag: कविता
352 Views
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