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16 May 2023 · 2 min read

देश गान

5. देश गान

उठो जवानों आज भारती माँ ने तुम्हें पुकारा है,
पवनपुत्र के सोये बल को रावण ने ललकारा है । जब जब आया शत्रु विदेशी पार नहीं वो पा पाया अपनो ने ही अवसर पा कर मॉ को खंजर मारा है ।।

तिब्बत बंगला पाक सरीखे बेटों को जनने वाली, जन्मभूमि ये इसीलिए तो मातृभूमि है कही गई । और नहीं अब बेटा कोई इससे जनने वाला है, जिसने ऐसा सोचा उसका महाकाल रखवाला है ।।

शिव के उर में क्रास टॅगा है ईसा के कर भाला है,
गुरु नानक के बाहुबलों ने अब ये देश सँभाला है । मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों से आज यही आवाज उठी, अब दुनिया मे भारत माँ का डंका बजने वाला है ।।

भारत बाला विश्व सुंदरी बनते बनते बहुत बनी, भारत को अब विश्व गुरु का दर्जा मिलने वाला है । एक बूँद अमृत की खातिर जिसने सागर मथ डाला उसका कोई क्या कर लेगा जिसका भाल हिमाला है ।।

सूरज की किरणों ने जिसके चरणों से चढ़ना सीखा ज़ीरो लेकर जिससे दुनिया ने आगे पढ़ना सीखा । आर्यभट्ट से रामानुज तक जिसका तेज निराला है, जयशंकर प्रसाद के ऑसू बच्चन की मधुशाला है।।

खेतों खलिहानों में नेहरू गाँधी के अरमानों में,
जय जननी जय जन्मभूमि का घोष तुम्हें सुनवाना है ।
बोस भगत अश्फाक तिलक और सावरकर की धरती पर,
उनके अरमानों का भारत तुमको आज बनाना है ।।

बच्चे बच्चे की जुबान से मातृभूमि का घोष उठे, ऐसी शिक्षा देकर इनको अपना देश बचाना है । मातृभूमि के गद्दारों को सरेआम फॉसी देकर, देशभक्ति की राहों पर स्वर्णिम इतिहास बनाना ।।

बच्चा बच्चा आज हिन्द का आकर हमसे पूछ रहा, सरयू तट पर राम नहीं ना यमुना तट पर कान्हा है । देशप्रेम की नदी बहाकर गद्दारों के मरुधर में, हिन्दुस्तॉ की गली गली में वृन्दावन बनवाना है ।।

जाति-धर्म के भेदभाव का जहर दिलों में फैलाकर,
देशप्रेम की चिंगारी को नहीं हमे दफनाना है ।
हिन्दी महासागर से लेकर तिब्बत के हिमशिखरों तक,
केसरिया सदियों फहरा है पुनः उसे फहराना है ।।

प्रकाश चंद्र , लखनऊ
IRPS (Retd)

Language: Hindi
Tag: गीत
83 Views
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