देखता हूँ प्यासी निगाहों से

देखता हूँ प्यासी निगाहों से,
कि कब हो खुशी की बरसात,
तेरी आँखों से प्रेम की बौछार,
और देखता रहता हूँ तेरी राह,
तेरे आने का इंतजार,
सहता रहता हूँ सितम,
तेरी बेरुखी और रुसवाई का।
देखता हूँ प्यासी निगाहों से,
तेरे चेहरे पर मेरे लिए उत्साह,
तेरी आँखों में मेरे लिए सपनें,
मेरी लिए तेरे हाथों में दुहा,
तेरी दर पर मेरे लिए इंतजार,
तुम्हारे जीवन में मेरे लिए सम्मान।
देखता हूँ प्यासी निगाहों से,
तुमने भी देखा है कभी,
जो सपनें मैंने तुम्हें बताये,
मेरी अंगुलियों के निशान,
जो मैंने तुमको दिखाये,
मेरी वफाई के सबूतों में,
जो खत मैंने तुम्हें दिये,
मगर तुम हो खामोश,
मुझसे दूर और तटस्थ,
मेरे जज्बातों से बेखबर,
देखकर ख्वाब महलों के।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)