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11 Feb 2022 · 1 min read

दूर नज़रों से कब सवेरा है

दिख रहा जो, वही अंधेरा है।
दूर नज़रों से कब सवेरा है।

मैल दिल में कोई नहीं रखना ।
दिल में रब का अगर बसेरा है ॥

छीन लेता है साथ अपनों का ।
वक़्त वो बेरहम लूटेरा है।।

सब मुसाफ़िर हैं एक मंज़िल के।
ये जहां तेरा है और न मेरा है।।

दिख रहा जो, वही अंधेरा है।
दूर नज़रों से कब सवेरा है।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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