Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2022 · 2 min read

दुर्योधन कब मिट पाया :भाग:40

=====
दुर्योधन बड़ी आशा के साथ अश्वत्थामा के हाथों से पांच कटे हुए सर को अपने हाथ लेता है और इस बात की पुष्टि के लिए कि कटे हुए वो पांच सरमुंड पांडवों के हीं है, उसे अपने हाथों से दबाता है। थोड़े हीं प्रयास के बाद जब वो पांचों सरमुंड दुर्योधन की हाथों में एक पपीते की तरह फुट पड़ते हैं तब दुर्योधन को अश्वत्थामा के द्वारा की गई गलती का एहसास होता है। दुर्योधन भले हीं पांडवों के प्रति नफरत की भावना से भरा हुआ था तथापि उनकी शारीरिक शक्ति से अनभिज्ञ नहीं था। उसे ये तो ज्ञात था हीं कि भीम आदि के सर इतने कोमल नहीं हो सकते जिसे इतनी आसानी से फोड़ दिया जाए। ये बात तो दुर्योधन को समझ में आ हीं गया था कि अश्वत्थामा के हाथों पांचों पांडव नहीं अपितु कोई अन्य हीं मृत्यु को प्राप्त हुए थे। प्रस्तुत है मेरी कविता “दुर्योधन कब मिट पाया का चालीसवां भाग।
=====
दुर्योधन कब मिट पाया:
भाग-40
=====
अति शक्ति संचय कर ,
दुर्योधन ने हाथ बढ़ाया,
कटे हुए नर मस्तक थे जो ,
उनको हाथ दबाया।
=====
शुष्क कोई पीपल के पत्तों
जैसे टूट पड़े थे वो,
पांडव के सर हो सकते ना
ऐसे फुट पड़े थे जो ।
=====
दुर्योधन के मन में क्षण को
जो थी थोड़ी आस जगी,
मरने मरने को हतभागी
था किंचित जो श्वांस फली।
=====
धुल धूसरित हुए थे सारे,
स्वप्न दृश ज्यो दृश्य जगे ,
शंका के अंधियारे बादल
आ आके थे फले फुले।
=====
माना भीम नहीं था ऐसा
मेरे मन को वो भाये ,
और नहीं खुद पे मैं उसके,
पड़ने देता था साए।
=====
माना उसकी मात्र प्रतीति
मन को मेरे जलाती थी,
देख देख ना सो पाता था
दर्पोंन्नत जो छाती थी।
=====
पर उसके घन तन के बल से,
है परिचय कुछ मैं मानू,
इतनी बार लड़ा हूँ उससे
थोड़ा सा तो पहचानू।
=====
क्या भीम का सर ऐसे भी
हो सकता इतना कोमल?
और पार्थ ये हारा कैसे,
मचा हुआ हो अयोमल?
=====
अश्वत्थामा मित्र तुम्हारी
शक्ति अजय का ज्ञान मुझे,
जो कुछ भी तुम कर सकते हो
उसका है अभिमान मुझे।
=====
पर युद्धिष्ठिर और नकुल है
वासुदेव के रक्षण में,
किस भांति तुम जीत गए
जीवन के उनके भक्षण में?
=====
तिमिर घोर अंधेरा छाया
निश्चित कोई भूल हुई है,
निश्चय हीं किस्मत में मेरे
धँसी हुई सी शूल हुई है।
=====
दीर्घ स्वांस लेकर दुर्योधन
हौले से फिर डोला,
चूक हुई है द्रोणपुत्र,
निज भाग्य मंद है बोला।
=====
अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित
=====

Language: Hindi
Tag: Mythology, कविता
50 Views

Books from AJAY AMITABH SUMAN

You may also like:
💐प्रेम कौतुक-238💐
💐प्रेम कौतुक-238💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बाबूजी
बाबूजी
Kavita Chouhan
प्रकृति सुनाये चीखकर, विपदाओं के गीत
प्रकृति सुनाये चीखकर, विपदाओं के गीत
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हमारा हौसला इश्क़ था - ग़ज़ल
हमारा हौसला इश्क़ था - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
विश्व मानसिक दिवस
विश्व मानसिक दिवस
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अमृत महोत्सव
अमृत महोत्सव
Mukesh Jeevanand
"यादें अलवर की"
Dr Meenu Poonia
हे! दिनकर
हे! दिनकर
पंकज कुमार कर्ण
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*जीवन - मृत्यु (कुंडलिया)*
*जीवन - मृत्यु (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माँ का आँचल
माँ का आँचल
Nishant prakhar
दस्ताने
दस्ताने
Seema gupta,Alwar
सर्द चांदनी रात
सर्द चांदनी रात
Shriyansh Gupta
*
*"नमामि देवी नर्मदे"*
Shashi kala vyas
ईश्वर का जाल और मनुष्य
ईश्वर का जाल और मनुष्य
Dr MusafiR BaithA
✍️गहरी साजिशें
✍️गहरी साजिशें
'अशांत' शेखर
बाल कहानी- वादा
बाल कहानी- वादा
SHAMA PARVEEN
बाहों में आसमान
बाहों में आसमान
Surinder blackpen
तुम्हारा ध्यान कहाँ है.....
तुम्हारा ध्यान कहाँ है.....
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
सुनते नहीं मिरी बात देखिए
सुनते नहीं मिरी बात देखिए
Dr. Sunita Singh
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
Ranjana Verma
धर्म के नाम पर अधर्म
धर्म के नाम पर अधर्म
Shekhar Chandra Mitra
सुनती नहीं तुम
सुनती नहीं तुम
शिव प्रताप लोधी
जज़्बात-ए-दिल
जज़्बात-ए-दिल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■ सीधेई बात....
■ सीधेई बात....
*Author प्रणय प्रभात*
दिल मे
दिल मे
shabina. Naaz
इंसानियत की
इंसानियत की
Dr fauzia Naseem shad
"आधुनिक काल के महानतम् गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन्"
Pravesh Shinde
पुरुष अधूरा नारी बिन है, बिना पुरुष के नारी जग में,
पुरुष अधूरा नारी बिन है, बिना पुरुष के नारी जग...
Arvind trivedi
Loading...