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17 Nov 2024 · 1 min read

दुमदार दोहे

दुमदार दोहे
हास्य रस*
* विषय-कविताएं*

क्यों कविताएं लिख रही,बोलो मेरी जान।
सारा दिन ही फोन पे,रहे तुम्हारा ध्यान।।
सजन को देखो जाना।
जरा तुम दे दो खाना।

जहाँ जहाँ तुम जा रही,महफ़िल सजती खूब।
थामे माइक बोलती, जाती हो तुम डूब।।
छोड़ दो कविता पढ़ना।
नए नित दोहे कहना।

सुन सुन कविता पक गया, निकले मेरी जान।
कहना मेरा मान लो, मत तुम खाओ कान।
दूर हो मुझसे रहती।
मग्न हो कविता कहती।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

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