*दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)*

*दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)*
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कोई-कोई घर से ही निकला नहीं है अभी
कोई-कोई दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ
कोई-कोई ताप रहा हीटर-अँगीठी रखे
शीत लहर के जाल ही में जकड़ा हुआ
कोई-कोई शॉल इस तरह लपेटे हुए
राह पर मुर्दा हो जैसे अकड़ा हुआ
मौसम का रंग बदरंग हुआ इस भाँति
मानो काल-पाश जगत को पकड़ा हुआ
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*रचयिता: रवि प्रकाश,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उ.प्र.) मो.9997615451*