अब तक नहीं मिला है ये मेरी खता नहीं।

ग़ज़ल
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अब तक नहीं मिला है ये मेरी खता नहीं।
मैं ढूंढता हूं जिसको है उसका पता नहीं।1
जाएं तो जाऍं कैसे भला तू ही ये बता,
कैसे उधर चलें है जिधर रास्ता नहीं।2
रुसवा हुआ है वो ही सरे महफिलों में भी,
जो बोलने से पहले कभी तोलता नहीं।3
कैसे कहूं कि पेट में चूहे उछल रहे,
खाने की बात छोड़ मिला नाश्ता नहीं।4
कोई किया गुनाह तो बेशक सज़ा भी दो,
मैंने किया है प्यार मगर ये ख़ता नहीं।5
कितने ही बज्रपात हुए कुछ नहीं हुआ,
फौलाद है ये दिल भी कभी टूटता नहीं।6
प्रेमी ने जिसको प्यार किया दिल दिया उसे,
उल्फत में झूठ कह के कभी लूटता नहीं।7
……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी