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25 Jan 2023 · 1 min read

दुखी संसार (कुंडलिया)

दुखी संसार (कुंडलिया)
_______________________________
पाया जग दुख से भरा ,पाए अश्रु-प्रपात
बीमारी सबको लगी , तन पाता आघात
तन पाता आघात , बुढ़ापे के सब मारे
मरणासन्न शरीर , थके जीवन से हारे
कहते रवि कविराय ,एक दिन ढहती काया
हुई अंत में मृत्यु , चार कंधों पर पाया
_______________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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