Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2023 · 1 min read

दीवारों में दीवारे न देख

ग़ज़ल

काम तू दिन रात कर ,आकाश के तारे न देख
मंजिलों को देख दीवारों में दीवारें न देख

कश्ती तूफ़ानों से तुझको पार ले जानी है तो
बाजुओं को देख अपने सिर्फ पतवारें न देख

पाक वादे नेक वंदे साथ जालिम भी हैं लोग
हौसले से देख दुनिया खौफ के मारे न देख

भर सके तो पेट भरना तू गरीबों का सदा
भूख की अब देख ज्वाला आग अंगारे न देख

जोश आवाज में भर इल्म का रख तीर हाथ
तू अकेला है बहुत अब सैकड़ों नारे न देख

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
21/5/2023

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Sunita Singh
View all
You may also like:
बुढ्ढे का सावन
बुढ्ढे का सावन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ऐसी बानी बोलिये
ऐसी बानी बोलिये
अरशद रसूल /Arshad Rasool
साथ तुम्हारा
साथ तुम्हारा
Rashmi Sanjay
देखा है जब से तुमको
देखा है जब से तुमको
Ram Krishan Rastogi
निभाना साथ प्रियतम रे (विधाता छन्द)
निभाना साथ प्रियतम रे (विधाता छन्द)
नाथ सोनांचली
कहां गया रवीश कुमार?
कहां गया रवीश कुमार?
Shekhar Chandra Mitra
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
जीवन का अंत है, पर संभावनाएं अनंत हैं
Pankaj Sen
ज़िंदगी के सारे पृष्ठ
ज़िंदगी के सारे पृष्ठ
Ranjana Verma
सागर की हिलोरे
सागर की हिलोरे
Satpallm1978 Chauhan
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Shabdo ko adhro par rakh ke dekh
Sakshi Tripathi
2395.पूर्णिका
2395.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बालको से पग पग पर अपराध होते ही रहते हैं।उन्हें केवल माता के
बालको से पग पग पर अपराध होते ही रहते हैं।उन्हें केवल माता के
Shashi kala vyas
✍️जर्रे में रह जाऊँगा✍️
✍️जर्रे में रह जाऊँगा✍️
'अशांत' शेखर
अँगना में कोसिया भरावेली
अँगना में कोसिया भरावेली
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आईने में अगर जो
आईने में अगर जो
Dr fauzia Naseem shad
🤔कौन हो तुम.....🤔
🤔कौन हो तुम.....🤔
सुरेश अजगल्ले"इंद्र"
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ आज की ग़ज़ल
■ आज की ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
राही
राही
RAKESH RAKESH
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
गुप्तरत्न
चाहत के ज़ख्म
चाहत के ज़ख्म
Surinder blackpen
प्रेरक संस्मरण
प्रेरक संस्मरण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खेल सारा वक्त का है _
खेल सारा वक्त का है _
Rajesh vyas
श्री गणेशाय नमः
श्री गणेशाय नमः
जगदीश लववंशी
*टुकड़े-टुकड़े गैंग 【मुक्तक】*
*टुकड़े-टुकड़े गैंग 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
सुनो कभी किसी का दिल ना दुखाना
सुनो कभी किसी का दिल ना दुखाना
shabina. Naaz
मेरे तुम
मेरे तुम
अंजनीत निज्जर
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक
पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक
Saraswati Bajpai
प्रश्न चिन्ह
प्रश्न चिन्ह
Shyam Sundar Subramanian
Loading...