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29 Oct 2016 · 1 min read

दीप जलाओ

दीप जलाओ

दीप देहरी पर इन्सानियत के जलाओ
इन्साफ की झिलमिल दर – दर लगाओ
एक दीप आज ऐसा मिल कर जलाना
त्रेतायुग सा रामराज्य फिर से ले आना

दीन – हीन का कोई क्रन्दन सुनाई न दें
नेह के पटाखों की ऐसी लड़ी सजाओ
एक दीप आज ऐसा मिल कर जलाना
त्रेतायुग सा रामराज्य फिर से ले आना

बल्ब जो जले जुगनूओं से भित्तियों पर
मन के दीप आलोकित उनसे कर लेना
एक दीप आज ऐसा मिल कर जलाना
त्रेतायुग सा रामराज्य फिर से ले आना

जो दीन दुखियों के सारे दुख मिटा दें
जो दीप गरीबों पर तेरी कृपा बरसा दें
एक दीप आज ऐसा मिल कर जलाना
त्रेतायुग सा रामराज्य फिर से ले आना

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 1 Comment · 316 Views
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