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24 Oct 2022 · 2 min read

दीपावली :दोहे

¥ दीपावली ¥
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घोर अमावस तमस में, मने दिवाली पर्व ।
आसमान से उतर कर, तारे आये सर्व ।।1।।

दीपावली की रात में, हुआ तम है निढाल ।
छोटे छोटे दीवाले ,जल जल करे धमाल ।। 2।।

दीपों के त्योहार में,सजी दीपिका माल ।
घर घर तम का है हरण,जन जन मन खुशहाल।।3।।

दीपमालिका सज रही, जगमग जगमग दीप ।
रात अमावस बन रही, रवि-किरण सी प्रतीप ।। 4।।

दीप बखरे चांदना, तम की छाती चीर ।
स्वर्ण उजाला हर रहा, देखो सबकी पीर ।। 5।।

समुद्र मंथन के लिए, लक्ष्मी का अवतार ।
धन समृद्धि के लिए, दीवाली त्योहार ।। 6 ।।

चौदह वर्ष वनवास से,राम आये निज धाम ।
उसी खुशी में जल रहे, दीप नगर अरु ग्राम ।। 7।।

लौटे पांडव राज्य में,पूरा कर वनवास ।
खुश हो जनता ले रही, दीप जला कर साँस ।। 8।।

नरकासुर आतंक से, हुई नारियाँ मुक्त ।
कृष्ण वीरता के लिए, दीप अमावस युक्त ।। 9 ।।

आनंद शुभता वास्ते, दीप जलाते लोग ।
रोग शोक का हरण कर, मुक्ति दिलावे भोग ।। 10

रविकिरण जहाँ न रहे,वहाँ दीप भगवान ।
अद्भुत शक्ति के लिए, करो दीप दान ।। 11।।

भौतिक सुख सम्पन्नता, समृद्धि स्मृति ज्ञान ।
इनको पाने के लिए, करो दीप का दान ।। 12।।

रचना प्रतिभा कला को, करो समर्पित दीप ।
पाना इनको चाहो तो, रहो निकट संदीप ।। 13।।

विजया लक्ष्मी के लिए, एक जलाओ दीप ।
सदा सफलता पाइये, द्वारे जले प्रदीप ।। 14।।

प्रतिनिधि सूरज के बने , घर घर जलते दीप ।
जहाँ जले रोशन करे रहे तमस न समीप ।। 15।।

सुतल राज्य बली को मिला,,उत्सव हुआ सम्राट ।
दीप जला खुशियाँ खिली,वामन कृपा विराट ।। 16।।

महावीर भगवान ने, पाया था निर्वाण ।।
भौतिकता को त्याग कर,दैविकता निर्माण ।। 17।।

दीपावली एक परम्परा,पाँच पर्व एक साथ ।
पंच पर्व की श्रृंखला , सभी नवाये माथ ।। 18।।

जाति और समुदाय से,ऊपर का ये पर्व ।
कहीं किसी की विजय तो, कहीं चूर है गर्व ।।19।।

प्रकट हुआ था इसी दिन, नारसिंही अवतार ।
वध करके ध्रुव के पिता ,सफल हुए भरतार ।। 20।

प्रेम प्रकाश का पर्व है,दीपावाली विशेष ।
घर घर दीपक दान दे,हरे पाप निज शेष ।। 21।।

सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
मुजफ्फरनगर उप्र

Language: Hindi
83 Views
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