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17 Dec 2022 · 1 min read

दिल नहीं ऐतबार टूटा है

मेरी ख़्वाहिश ने मुझ को लूटा है ।
ख़्वाब देखा जो मैंने, झूठा है ।।

यूँ ही तुम से ख़फा नहीं हैं हम ।
दिल नहीं, ऐतबार टूटा है ।।

कुछ नहीं तुझ से प्यार है शायद ।
तेरा एहसास दिल को छूता है ।।

क्यूँ बिछड़ कर बिछड़ नहीं पाये ।
साथ कब से हमारा छूटा है ।।

हम मुक़द्दर तो लिख नहीं सकते ।
जो भी अपना है वही रूठा है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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