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7 Oct 2016 · 1 min read

दिल की धड़कन बढ़ने लगी/मंदीप

बातो में बात अब मिलने लगी,
सासों में सांस अब गुलने लगी।

जब भी लूँ हाथो में हाथ तुमारा,
दिल की दड़कने बढ़ने लगी।

लूँ देख मै तेरे योवन को,
आँखे मेरी अब झुकने लगी।

ख्वाबो में ना तुम आया करों ,
अब नींद मेरी अब उडने लगी।

क्यों हो गया तुम से इतना लगाव,
चाहतें मेरी खुदी से बोलने लगी।

अब ना होना हम से कभी दूर,
ये सोच कर “मंदीप्” की धड़कनें थमने लगी।

मंदीपसाई

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