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5 Aug 2024 · 1 min read

दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,

दिन निकलता है तेरी ख़्वाहिश में,
शाम ढलती है नाम से तेरे ।
*
© उमेश विश्वकर्मा ‘आहत’

1 Like · 57 Views
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