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29 Oct 2016 · 1 min read

गीतिका /गजल

परीक्षा जिन्दगी की, हल को बारम्बार पढ़ लेना
अनूठी जिन्दगी है यह, सही आधार पढ़ लेना |१

कभी ऊपर कभी नीचे, कभी चलती समानांतर
बिना घबराये तुम धीरज से, जीवन सार पढ़ लेना |२

नहीं है तोड़ना आसां ये, जीवन भर के रिश्तों को
कभी कुछ वक्त हो तो तुम, नयन में प्यार पढ़ लेना |३

अगर महफ़िल में जाओ, तुम कभी तो याद यह रखना
वहाँ कुछ नामवर शायर के, कुछ अशयार पढ़ लेना |४

ज़माना है बहुत स्वार्थी, यहाँ सब मतलबी दुनिया
न हो विश्वास तुमको तो, कभी अखबार पढ़ लेना |५

कहूँ क्या अब यहाँ दिल की, कथायें सब अभी तुमको
बनेगी सुर्खियाँ जब तुम, खबर दो चार पढ़ लेना |६

© कालीपद ‘प्रसाद’

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