दासता

सनातनी संस्कृति और स्वस्थ परम्पराओं का वैभव आज किसे पसंद है?
उषाकाल मे जगकर नित्यकर्म से निवृत्त हो योग -कसरत किसे पसंद है?
दूध -दही,फल-मठ्ठा कलेऊ दाल-रोटी,चावल-चटनी भोजन
किसे पसंद है?
देर रात तक जगना और देर अपरान्ह तक सोना अब जीवन शैली हो चुकी है।
चाऊमीन-मोमोज,नूडल्स विदेशी भोजन सबकी जीवन शैली हो चुकी है।।
छोटे बडे सभी मोबाइल और टीवी-लैप टाप पर आँखेँ फोड रहे हैं।
पब्लिक स्कूलों मे पढकर हिन्दी ओलम-गिनती सब छोड रहे हैं।।
भारत का गौरवशाली इतिहास भुलाकर अँग्रेजों रचित ओढ रहे हैं।
साहित्य-संस्कृति,शास्त्रीय संगीत छोड,डिस्को-बैले जोड रहे हैं।।
श्रद्धा-सदभाव, समर्पण का हुआ अंत,परिवारवाद का भी त्याग किया है।
हम दो हमारे दो को परिवार मान बाबा-दादी, चाचा-ताऊ से अनभिज्ञ किया है।।
वसुधैव कुटुम्बकम की जननी रोती है।
अब भी समझो एक हजार वर्षों की दासता की येही दुर्गति होती है।।