*दाबे बैठे देश का, रुपया धन्ना सेठ( कुंडलिया )*

*दाबे बैठे देश का, रुपया धन्ना सेठ( कुंडलिया )*
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दाबे बैठे देश का , रुपया धन्ना सेठ
कोई देवर लग रहा , कोई लगता जेठ
कोई लगता जेठ , करोड़ हजारों खाए
खर्चे शाही ठाठ , कर्ज पर सब फैलाए
कहते रवि कविराय , पान सुरती का चाबे
दिखते मालामाल , माल अरबों का दाबे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451