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11 Apr 2022 · 1 min read

दाता

तू ही सबका कर्म है लिखता,बिगड़े भाग्य बनाता है,
तेरी कृपा दृष्टि हो जिसपे,वो भव सागर तर जाता है।
तेरा सुमिरन करते निसदिन,जपते हैं जो तेरा नाम,
सबके दाता हृदय विराजे,क्यों नर भटके चारों धाम।।

🌻🌻🌻🌻🌻
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 339 Views
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