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24 Jul 2019 · 1 min read

दहशत की सुर-ताल

दहशत की सुर-ताल

दहशत की सुर-ताल हो गई।
धरती सारी लाल हो गई ।।

अपहरण हुआ इंसानियत का,
बेढंग सबकी चाल हो गई ।।

इतने आधुनिक हो गए हैं हम,
अपनों से मिले साल हो गई।।

उङ गई खुशियां पंख लगा कर,
जिन्दगी सूखी डाल हो गई ।।

महंगाई में थाली खाली ,
इतनी महंगी दाल हो गई ।।

ई-मेल पते याद हैं “सिल्ला,
भूले सूरत कमाल हो गई ।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 142 Views
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