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10 Nov 2022 · 1 min read

दर्शय चला

दर्शय चला

ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा,
गम देख मुझे मुस्कुरा रहें थे,
दर्द है उनका दिल मैं बहुत,
आंसू आँखों में झिलमिला रहें थे ।

उनकी छुवन का अहसास जागा,
हाथ मेरे उनको बुला रहे थे,
मैं पत्थरों की तरह बूत बना रहा,
पर अहसास दिल में आ रहें थे ।

संग मेरे सपनों का दर्शय चला,
ख्याल मुझको जगा रहें थे,
मैंने पलकों को बारहा झपका,
मेरे अपने मुझको बुला रहे थे ।

आपका अपना दोस्त
तनहा शायर हूँ – यश

1 Like · 87 Views
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