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14 May 2023 · 1 min read

दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।

दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
भरकर तुम्हें आगोश में सो जाती हूँ मैं।।
-लक्ष्मी सिंह

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