दर्द है कि मिटता ही तो नही

दर्द है कि मिटता ही तो नही
सुलगने वाला बुझता भी तो नहीं
कई जगह ले गया हूँ इसे
यह है कि कहीं बहलता भी तो नहीं
जब एक ही दवा दिखती है सामने
कसमें खाने वाला कहीं दिखता भी तो नहीं
क्यों सजायूँ, दीवारें छत और मीनार
घर के सामने से कोई निकलता भी तो नहीं
डॉ राजीव