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16 May 2023 · 1 min read

दरख़्त और व्यक्तित्व

दरख़्त और व्यक्तित्व में एक समानता जरूर है,
दोनों को अगर पोषण मिलता रहे तो दोनो,
नित नए और हरे भरे रहते हैं।

अगर पोषणता में कमी आई तो,
दोनों कर सूख कर अस्तित्वहीन होना तय है,
गर्मी की लू, सर्दी का कड़कपन, और बरसात की बारिस,
जिस तरह से दरख़्त की नवसर्जना करती है,
ठीक उसी प्रकार से,
सुख – दुःख, लाभ – हानि, हर्ष – विषाद,
सब कुछ व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

दरख़्त और व्यक्तिव में एक और समानता है,
और वह समानता है बसंत में नवपल्लवन की,
जिस प्रकार बसंत में पतझड़ के बाद दरख़्त के,
डील – डौल में निखार आता है,
ठीक उसी प्रकार,
जब व्यक्तित्व में दु:खों का अपार पतझड़ आ जाता है,
तो उसके बाद व्यक्तित्व में सुखों का आगमन नितांत अनिवार्य है।

घोषणा – उक्त रचना मौलिक अप्रकाशित और स्वरचित है। यह रचना पहले फेसबुक ग्रुप या व्हाट्स ग्रुप पर प्रकाशित नहीं हुई है।

डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
73 Views
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