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12 Dec 2022 · 4 min read

*दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज मुरादाबाद का संस्थापक दिवस समारोह : एक सुंदर शाम

*दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज मुरादाबाद का संस्थापक दिवस समारोह : एक सुंदर शाम*
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12 दिसंबर 2021 रविवार । आज दोपहर 2:30 बजे मुरादाबाद स्थित दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में जाने का शुभ अवसर मिला । 1960 में स्थापित यह महाविद्यालय मुरादाबाद मंडल में शिक्षा-सेवियो द्वारा विद्यालय खोलने और चलाने की दिशा में उठाए गए महान कदमों में से एक था । कई मायनों में इसकी विराटता सर्वोपरि थी । इसके संस्थापक दयानंद गुप्त न केवल महाविद्यालय अपितु कई अन्य शिक्षा संस्थाओं के भी संस्थापक थे । कहानीकार, कवि ,पत्रकार ,वकील और राजनेता के रूप में आपकी अच्छी ख्याति थी।
दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज के संस्थापक श्री दयानंद गुप्त के सुपुत्र श्री उमाकांत गुप्त से मुरादाबाद के साहित्यिक आयोजनों में संपर्क आया । व्हाट्सएप समूहों में वार्ताओं का आदान-प्रदान हुआ। इसी कड़ी में अभी कुछ दिन पहले आपने जब अपने पिताजी स्वर्गीय श्री दयानंद गुप्त के समग्र लेखन को पुस्तक रूप में प्रकाशित किया था तब मुझे भी वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया था । आपका फोन आया था किंतु मैंने फोन पर ही क्षमा मांग ली थी कि आना कठिन हो जाएगा । इस बार महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव तथा संस्थापक दिवस समारोह के लिए आपका पुनः आत्मीयता से भरा फोन आया तथा निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ। मैं स्वयं आपसे मिलने तथा महाविद्यालय के दर्शन करने के लिए उत्सुक था । मुझे शुभ अवसर मिल गया और मेरी प्रतीक्षा पूर्ण हुई ।
विद्यालय का प्रवेश द्वार पवित्रता के भाव से भरा हुआ था। प्रवेश करते ही दाहिने हाथ पर स्वर्गीय श्री दयानंद गुप्त की सुंदर और विशाल स्वर्णिम कांति से युक्त मनोहारी प्रतिमा स्थापित थी । मैंने महापुरुष को प्रणाम किया । दयानंद गुप्त जी के सुपुत्र श्री उमाकांत गुप्त जी ने आते ही प्रसन्नता पूर्वक आत्मीयता भाव से मुझे स्नेह प्रदान किया। आपकी आयु 78 वर्षों से अधिक है तथापि नव युवकों के समान आपका उत्साह देखते ही बनता है । विद्यालय के प्रांगण में सुंदर शामियाना लगाकर सभा – स्थल का निर्माण किया गया था । पक्के मंच पर संस्थापक-दिवस का बैनर लगा था । एक तरफ स्वर्गीय दयानंद गुप्त जी का आदम कद चित्र शिक्षा क्षेत्र के एक तपस्वी के जीवन का साक्षात्कार करा रहा था । मुख्य अतिथि के रूप में छपरा विश्वविद्यालय(बिहार) के भूतपूर्व कुलपति महोदय मंच पर विराजमान थे । दयानंद गुप्त जी के सुपुत्र श्री उमाकांत गुप्त, महाविद्यालय के प्राचार्य तथा सचिव के साथ मंच को सुशोभित कर रहे थे ।
मुझे भी कार्यक्रम में अपनी एक कुंडलिया प्रस्तुत करने तथा विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया । उमाकांत गुप्ता जी मेरे प्रशंसक रहे हैं । मैंने अपने संबोधन में इस बात को रेखांकित किया कि 1960 में मुरादाबाद में श्री दयानंद गुप्त ने जब दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की स्थापना की तब वह एक निस्वार्थ वातावरण का दौर था । सैकड़ों नहीं अपितु हजारों सामाजिक कार्यकर्ता शिक्षा के प्रचार और प्रसार के लिए अपना तन-मन-धन अर्पित करके महाविद्यालय-विद्यालय खोलने और चलाने के महायज्ञ में अपनी आहुति दे रहे थे । आजादी के बाद का यह पहला और दूसरा दशक था । आज वह भावनाएं कहां खो गई ? -यह सोचने की आवश्यकता है । मैंने अपनी एक कुंडलिया भी श्री दयानंद गुप्त जी को श्रद्धांजलि-स्वरुप समर्पित करते हुए पढ़कर सुनाई।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि सर्व श्री माहेश्वर तिवारी ,मक्खन मुरादाबादी तथा कृष्ण कुमार नाज उपस्थित थे । जब मैं काव्य पाठ तथा संबोधन के बाद अपनी सीट पर लौटा तो श्री माहेश्वर तिवारी ने पीछे मुड़कर मुझे बधाई दी । वह मेरे ठीक आगे पंक्ति में विराजमान थे । श्री कृष्ण कुमार नाज मेरी बगल में बैठे थे । आपकी भी बधाई मुझे प्राप्त हुई । बहुत अच्छा लगा।
माहेश्वर तिवारी जी से समारोह के उपरांत जलपान के समय वार्तालाप का कुछ अवसर और मिल गया । माहेश्वर तिवारी जी ने कहा कि प्रारंभ में सभी रचनाकार विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य करते हैं लेकिन अंततः पाठक और स्वयं लेखक अपनी एक निश्चित दिशा तय कर लेते हैं। यह उनके स्वभाव के अनुरूप लेखन की दिशा होती है। तथा अंत में उनको उसी विधा में ख्याति मिलती है । अब आप तय करने की दिशा में हैं ।
रविवार की यह एक सुंदर शाम थी, जब शिक्षा और साहित्य से जुड़े हुए वरिष्ठ जन एकत्र हुए तथा आपस में एक संवाद स्थापित हो सका । समारोह में विद्यालय की छात्राओं के गीत ,नाटक और नृत्य सुंदर छटा बिखेर रहे थे । संचालन प्रभावशाली था। कार्यक्रम रंगारंग और आकर्षक रहा। दर्शक अंत तक सम्मोहन की मुद्रा में अपने स्थान पर बैठे हुए एक के बाद एक कार्यक्रमों का आनंद लेते रहे ।
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*दयानंद जी गुप्त ( कुंडलिया )*
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गाते जीवन भर रहे ,सामाजिकता मंत्र
विद्यालय साहित्य का ,लेकर सक्षम यंत्र
लेकर सक्षम यंत्र ,वेदना जग की गाई
लिखी कहानी काव्य ,लेखनी खूब चलाई
कहते रवि कविराय ,प्रेरणा जन-जन पाते
दयानंद जी गुप्त , आप की महिमा गाते
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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Language: Hindi
Tag: संस्मरण
54 Views

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