दबाए मुँह में तंबाकू(मुक्तक)
*दबाए मुँह में तंबाकू(मुक्तक)*
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दबाए मुँह में तंबाकू अलग ही दीख जाते हैं
जहाँ भी देखिए हर एक कोना यह सजाते हैं
जहाँ बैठे वहीं पर पीक निर्भयता से थूकेंगे
न घर-बाहर सड़क-गलियों में यह हर्गिज लजाते हैं
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*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
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