Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2016 · 1 min read

दफ़न

अपने आप में ही
दफ़न हुए जाते हैं
फिर भी शिकायत है इस ज़माने को
हम इसे समझ नहीं पाते हैं
इसको समझने में
अपने को समझाने में
ये उम्र यूँ ही निकल जाती है
न हम ही समझ पाते हैं
न इसे ही समझा पाते हैं
और
अपने में ग़ुम
कहीं खोये से
यूँ ही चले जाते हैं
किसी मोड़ पर
ज़रा सा मुसकुरा पड़े
तो इनके मुख में
यूँ ही छाले पड़ जाते हैं
फिर भी हम क्यूँ दफ़न हुए जाते हैं..

सुनील पुष्करणा

Language: Hindi
1 Like · 241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
जाति-पाति देखे नहीं,
जाति-पाति देखे नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
■ लिख कर रखिए। सच साबित होगा अगले कुछ महीनों में।
■ लिख कर रखिए। सच साबित होगा अगले कुछ महीनों में।
*Author प्रणय प्रभात*
[पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य] अध्याय 6
[पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य] अध्याय 6
Pravesh Shinde
प्रिय विरह
प्रिय विरह
लक्ष्मी सिंह
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
gurudeenverma198
वीर रस की कविता (दुर्मिल सवैया)
वीर रस की कविता (दुर्मिल सवैया)
नाथ सोनांचली
शिक्षक को शिक्षण करने दो
शिक्षक को शिक्षण करने दो
Sanjay Narayan
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
दिल की दहलीज पर कदमों के निशा आज भी है
कवि दीपक बवेजा
मेनका की ‘मी टू’
मेनका की ‘मी टू’
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हास्य कथा : वजन पचपन किलो
हास्य कथा : वजन पचपन किलो
Ravi Prakash
****मैं इक निर्झरिणी****
****मैं इक निर्झरिणी****
Kavita Chouhan
💐अज्ञात के प्रति-154💐(प्रेम कौतुक-154)
💐अज्ञात के प्रति-154💐(प्रेम कौतुक-154)
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
डर
डर
Sushil chauhan
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
आता सबको याद है, अपना सुखद अतीत।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
"अमृत और विष"
Dr. Kishan tandon kranti
फूल है और मेरा चेहरा है
फूल है और मेरा चेहरा है
Dr fauzia Naseem shad
अपना मुकदमा
अपना मुकदमा
Yash Tanha Shayar Hu
हंसती हुई जिंदगियां भी यहां रोती हैं।
हंसती हुई जिंदगियां भी यहां रोती हैं।
Taj Mohammad
फूल मोंगरा
फूल मोंगरा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दोहे... चापलूस
दोहे... चापलूस
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
दलित साहित्यकार कैलाश चंद चौहान की साहित्यिक यात्रा : एक वर्णन
Dr. Narendra Valmiki
आओ अब लौट चलें वह देश ..।
आओ अब लौट चलें वह देश ..।
Buddha Prakash
परशुराम का परशु खरीदो,
परशुराम का परशु खरीदो,
Satish Srijan
छठ पर्व
छठ पर्व
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
अपनी वाणी से :
अपनी वाणी से :
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
सत्य कुमार प्रेमी
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
सम्भल कर चलना जिंदगी के सफर में....
shabina. Naaz
बहुत प्यार करता हूं तुमको
बहुत प्यार करता हूं तुमको
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...