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11 Jan 2024 · 1 min read

थोड़ा दिन और रुका जाता…….

थोड़ा दिन और रुका जाता…….
और शिद्दत से झुका जाता……..

मुझे ऐतराज नहीं है प्राण प्रतिष्ठा से
हां,नाराजगी है सरकार की निष्ठा से

यें जो राम-राम रटाया जा रहा है
अलग ही मंज़र बनाया जा रहा है

यक़ीनन राम आते यदि दबाव न होता
यें उद्घाटन न होता यदि चुनाव न होता

क्या हो जाता थोड़ा दिन और रूक जाते तो ?
या ‘राम’ नहीं आतें ये चुनाव बाद बुलाते तो ?

– केशव

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