*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल/ गीतिका)

*थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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थोड़ा-थोड़ा दाग लगा है, सब की चुनरी में
ढूॅंढो उसको जल हो पूरा, जिसकी गगरी में
2
तनिक अधूरापन-सा है, सबके ही जीवन में
कुछ उजाड़ है कोना, हर बस्ती-हर नगरी में
3
कलाकार ने जिसे तराशा, पूजित वह कृति है
छिपे हुए शंकर यों तो, हर पत्थर-पथरी में
4
उसी एक को हर प्राणी के भीतर पाया है
हर मनुष्य-चिड़िया-मछली, सिंह और बकरी में
5
अभी-अभी निकला है सूरज, नवप्रभात छाया
करो शाम की बातें आकर, किसी दुपहरी में
6
हर मसले पर हॉं या न, कहने की आदत डालो
मजा बात के कहने में, आता खरी-खरी में
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*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451