Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2021 · 1 min read

त्रिशरण गीत

बुद्ध की शरण में आए हैं,
अब यही कहते जाना है,
‘बुद्धम् शरणम् गच्छामि’,
ज्ञान का दीप जलाना है।

बुद्ध ही हमारे ‘मैत्रेय’ हैं,
धम्म का मार्ग दर्शाते हैं,
‘धम्मं शरणम् गच्छामि’,
अब यही कहते जाना है।

बुद्ध करुणा के सागर हैं,
निर्वाण का ध्यान सिखाते हैं,
‘संघं शरणम् गच्छामि’,
अब यही कहते जाना है।

‘त्रिशरण’ को अपनाना है,
‘बोधिसत्व’ को है अब पाना,
‘बुद्ध’, ‘धम्म’,’संघ’ में है जाना,
‘पंचशील’ का ज्ञान है पाना।

मध्यम मार्ग अपनाना ,
त्रिशरण को आगे ले जाना ,
अब यही कहते जाना है ,
बुद्ध की शरण में आए हैं ।

✍🏼
बुद्ध प्रकाश;
मौदहा,हमीरपुर,
*** उत्तर प्रदेश।

5 Likes · 2 Comments · 1848 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
ये जो तेरे बिना भी, तुझसे इश्क़ करने की आदत है।
ये जो तेरे बिना भी, तुझसे इश्क़ करने की आदत है।
Manisha Manjari
कुछ सवाल
कुछ सवाल
manu sweta sweta
#दोहे
#दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
आकाश महेशपुरी
दर्द की कश्ती
दर्द की कश्ती
DESH RAJ
घोर अंधेरा ................
घोर अंधेरा ................
Kavita Chouhan
जुल्फ जब खुलकर बिखर गई
जुल्फ जब खुलकर बिखर गई
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
विजय कुमार अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-120💐
💐अज्ञात के प्रति-120💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
" कटु सत्य "
DrLakshman Jha Parimal
हम दिल से ना हंसे हैं।
हम दिल से ना हंसे हैं।
Taj Mohammad
दुःस्वप्न
दुःस्वप्न
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
مستان میاں
مستان میاں
Shivkumar Bilagrami
मुस्कराता चेहरा
मुस्कराता चेहरा
shabina. Naaz
युद्ध सिर्फ प्रश्न खड़ा करता है [भाग ५]
युद्ध सिर्फ प्रश्न खड़ा करता है [भाग ५]
Anamika Singh
"चारपाई"
Dr. Kishan tandon kranti
न रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
न रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
काफ़िर जमाना
काफ़िर जमाना
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
चांद से सवाल
चांद से सवाल
Nanki Patre
बीमार हैं सभी यहां
बीमार हैं सभी यहां
Shekhar Chandra Mitra
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
Surinder blackpen
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
स्वयं में एक संस्था थे श्री ओमकार शरण ओम
स्वयं में एक संस्था थे श्री ओमकार शरण ओम
Ravi Prakash
चंद्रगुप्त की जुबानी , भगवान श्रीकृष्ण की कहानी
चंद्रगुप्त की जुबानी , भगवान श्रीकृष्ण की कहानी
AJAY AMITABH SUMAN
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
जहां तक रास्ता दिख रहा है वहां तक पहुंचो तो सही आगे का रास्त
dks.lhp
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
✍️अंजाम और आगाज✍️
✍️अंजाम और आगाज✍️
'अशांत' शेखर
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
Arvind trivedi
Loading...