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11 Aug 2022 · 1 min read

तोड़ डालो ये परम्परा

तोड़ डालो ये परम्परा छोड़ दो भगवान को
माँ, बेटी और बहन को हर घड़ी सम्मान दो

है कहाँ भगवान किसने देखा है भगवान को
है पता कोई क्या उसका क्यों बने नादान हो
शिक्षा के मंदिर जाकर शिक्षा का वरदान लो
माँ, बेटी और बहन को……………
पड़े पुजारी जेलों में भगवान के घर है ताला
मात-पिता को गाली देते मूर्त को डालें माला
भाग्य कर्म करे बनता है ये सच्चाई जान लो
माँ, बेटी और बहन को……………
जन्म मरण का मुहुर्त कौन जानता है बोलो
नहीं बता सकते हो तो हाथों के धागे खोलो
कठपुतली क्यों बनो अपने को पहचान लो
माँ, बेटी और बहन को……………
निकलो अब जंजीरों से वक्त पड़ा है बाकी
संवरेगा जीवन “विनोद” उम्र बहुत है बाकी
उठो जरा तुम क्यों ऐसे बने हुए अंजान हो
माँ, बेटी और बहन को……………

स्वरचित:—–
( विनोद चौहान )

4 Likes · 2 Comments · 156 Views
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