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8 Jun 2023 · 1 min read

तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून

तेरे भीतर ही छिपा, खोया हुआ सकून
ग़ैरों ने दी उलझनें, अपनों ने नाख़ून
अपनों ने नाख़ून, ज़ख़्म गहरे अपने हैं
ले लें शायद जान, घाव नासूर बने हैं
महावीर कविराय, चैन जो खोये अक्सर
ढूँढो न कहीं ओर, छिपा वो तेरे भीतर
–महावीर उत्तरांचली

1 Like · 361 Views
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