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6 Sep 2022 · 1 min read

तेरे बिना ये ज़िन्दगी

न तो निगाहे ग़ौर है , न ही बयाने हाल है
तेरे बिना ये ज़िन्दगी तो इक बड़ा सवाल है

अजीब ख़ुदकुशी में हूं जो जी रहा हूं मौत को
मैं क्या कहूं कि किस तरह ये ज़िन्दगी मुहाल है

सवाल ये नहीं कि तू क़रीब है कि दूर है
मेरी रगों में ख़ून का न दौड़ना सवाल है

तमाम धड़कनें मेरी मुकाम तक न जा सकीं
मैं जी सका न मर सका मुझे यही मलाल है

तेरा बदन,तेरी छुअन , तेरी नज़र, तेरी हंसी
तेरी हरेक बात बेहतरीन बेमिसाल है

–शिवकुमार बिलगरामी

Language: Hindi
Tag: ग़ज़ल
2 Likes · 4 Comments · 113 Views
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