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2 Apr 2020 · 1 min read

तेरे नाम-मेरे गीत

खुशदिल था इतना,इन फिजाओं में।
गुमशुम न था इतना,इन हवाओं में।
ऐ मुकद्दर ! मेरे क्यों इतना बेवफा है।
खुदगर्ज नहीं मैं इतना,फिर क्यो खफा है।

मुझें मेरे मुकद्दर की,
सनम इतनी शिकायत नहीं।
मेरी किस्मत में अब कोई,
इनायत नहीं,शिकायत नहीं।

मुझें ऐ-दर्द ! तेरी तकलीफ़,
लगी अब तो इबादत है।
तुझे ऐ वक्त ! कहूँ अब क्या ?
हुई अपनी शहादत है।
दर्द सहूँ अब तो मैं,आदत है,इबादत है।

मुझे मेरे मुकद्दर की,सनम इतनी शिकायत नहीं।
मेरी किस्मत में अब कोई,इनायत नहीं, शिकायत नहीं।

ऐ दुनियाँँ वालों ! तुम देखो,मैं अब क्या हूँ, अब क्या हूँ।
लुट गया इनायत में,इजाजत में,शराफत में,
तरहदारी तरफदारी,ले डूबी है आफत में,
सहना है सब-कुछ तो,आदत में,इबादत में।

मुझे मेरे मुकद्दर की,सनम इतनी शिकायत नहीं।
मेरी किस्मत में अब कोई,इनायत नहीं, शिकायत नहीं।

ना है मंजूर बहारों को, गुल खिले गुलशन में।
ना मर्जी थी किस्मत की,बैठी है वो अनशन में।
मुझे है फिक्र जमाने में,वो कैसी है,वो कैसी है ?
पूछा जो हाल हमने तो,वो जैसी थी,वो वैसी है।

मुझे मेरे मुकद्दर की,सनम इतशी शिकायत नहीं।
मेरी किस्मत में अब कोई,इनायत नहीं, शिकायत नहीं।

ज्ञानीचोर
गीत लेखन तिथि
13/12/2017, बुधवार रात 09:14

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 1 Comment · 230 Views
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