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22 Nov 2022 · 1 min read

तेरे दुःख दर्द कितने सुर्ख है l

तेरे दुःख दर्द कितने सुर्ख है l
जनता अब भी तू इतनी मुर्ख है ll
तुझमे ना समझ ओ बुद्धी आती l
हर बार खुद ही खुद, लुटती जाती ll
ये लुटेरे पाए, सरेआम सुख है l
जनता अब भी तू इतनी मुर्ख है ll

जो बटे बटे, सहज है लुटे लुटे l
बिन एकता, डर डर है डटे डटे ll
एसे में आते रहते दुःख है ll
जनता अब भी तू इतनी मुर्ख है ll

पल पल हर डगर, माया का घेरा l
मानव मन, विषय प्यास का डेरा ll
निकल निकाल, जीवन सत्य प्रमुख है ll
जनता अब भी तू इतनी मुर्ख है ll

अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न

Language: Hindi
1 Like · 63 Views
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