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17 Mar 2023 · 1 min read

तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं

तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
नींद से पहले दुवां भी मांग लेना अभी मैं राख हुवा नहीं

कोई बादशाहत कायम करने का तो शौक नहीं था मुझे
कई शाहपरस्त है ज़मी पर मेरे अभी पर्दा-ताक हुवा नहीं

मत सोचना मेरी ख़ामोश जुबाँ को के ये संगीन जुर्म मेरा
तेरे क़ातिल शोर भी गूंजते है यहाँ अभी मैं चाक़ हुवा नहीं

जब तुझे ही ख़जालत नहीं थी फिर मैं भी बदनाम ही सही
अगर साजिशें चली है तो मेरा भी इरादा अभी नेक हुवा नहीं

अगर वो चाँद मांगता तो मैं सितारो भरा आसमाँ दे देता
क्या कहे छुपाके कुछ जुगनू ले गया मैं तो फ़ाक हुवा नहीं

🔘-‘अशांत’ शेखर

1 Like · 2 Comments · 115 Views
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