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12 Aug 2016 · 1 min read

तेरी चाहत तेरी वफ़ा ले जाय

तेरी चाहत तेरी वफा ले जाय
जाने किस सिम्त ये नशा ले जाय

इस कदर बा हुनर नही है तू
अपना गम मुझसे जो छुपा ले जाय

आज के दौर मे ये मुश्किल है
अपना वादा कोई निभा ले जाय

मै भी अंजान इक मुसाफिर हूं
जाने किस सिम्त रास्ता ले जाय

डर रहा हूं मै हाल से अपने
मेरा मॉज़ी न वो चुरा ले जाय

वो मुहब्बत का इक सरापा है
उसको तोहफे मे कोई क्या ले जाय

है अजब मगरिबी चलन आज़म
छीन कर ऑख से हया ले जाय

1 Like · 414 Views
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