Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Aug 2021 · 1 min read

तेरी आंखों की मस्ती

किसी के आंखों की मस्ती
किसी के बातों की बस्ती
जैसे कोई कागज की कश्ती
शायद है बे जुबान मूरत की हस्ती
जनाब हो गया है गुनाह पता नहीं
हम बेकसूर या गुनाहगार
अपने ही मकांं में मालिक या किराएदार

रचनाकार मंगला केवट होशंगाबाद मध्य प्रदेश

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 315 Views
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
कुछ न कुछ
कुछ न कुछ
Dr fauzia Naseem shad
"तेरे गलियों के चक्कर, काटने का मज़ा!!"
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं।
Taj Mohammad
दुआ के हाथ
दुआ के हाथ
Shekhar Chandra Mitra
*
*"परिवर्तन नए पड़ाव की ओर"*
Shashi kala vyas
हया आँख की
हया आँख की
Dr. Sunita Singh
"मेरा भोला बाबा"
Dr Meenu Poonia
निर्धन बिलखे भूख से, कौर न आए हाथ।
निर्धन बिलखे भूख से, कौर न आए हाथ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-95💐
💐अज्ञात के प्रति-95💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रात के अंधेरे के निकलते ही मशहूर हो जाऊंगा मैं,
रात के अंधेरे के निकलते ही मशहूर हो जाऊंगा मैं,
कवि दीपक बवेजा
*** चल अकेला.......!!! ***
*** चल अकेला.......!!! ***
VEDANTA PATEL
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
Shubham Pandey (S P)
In wadiyo me yuhi milte rahenge ,
In wadiyo me yuhi milte rahenge ,
Sakshi Tripathi
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
Prabhu Nath Chaturvedi
आदि शक्ति
आदि शक्ति
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जो मौका रहनुमाई का मिला है
जो मौका रहनुमाई का मिला है
Anis Shah
मां की महिमा
मां की महिमा
Shivraj Anand
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Shivkumar Bilagrami
प्रेम के रिश्ते
प्रेम के रिश्ते
Rashmi Sanjay
डर डर के उड़ रहे पंछी
डर डर के उड़ रहे पंछी
डॉ. शिव लहरी
*रिपोर्ट/ आर्य समाज (पट्टी टोला, रामपुर) का वार्षिकोत्सव*
*रिपोर्ट/ आर्य समाज (पट्टी टोला, रामपुर) का वार्षिकोत्सव*
Ravi Prakash
■ सलामत रहिए
■ सलामत रहिए
*Author प्रणय प्रभात*
बाल कहानी- प्यारे चाचा
बाल कहानी- प्यारे चाचा
SHAMA PARVEEN
चार पैसे भी नही..
चार पैसे भी नही..
Vijay kumar Pandey
हिंदी का वर्तमान स्वरूप एवं विकास की संभावना
हिंदी का वर्तमान स्वरूप एवं विकास की संभावना
Shyam Sundar Subramanian
सुशांत देश (पंचचामर छंद)
सुशांत देश (पंचचामर छंद)
Rambali Mishra
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
'अशांत' शेखर
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें , आपकी श्रेष्ठता
अपने आप को ही सदा श्रेष्ठ व कर्मठ ना समझें...
Seema Verma
तनहा
तनहा
Rekha Drolia
Loading...