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17 Dec 2022 · 1 min read

तेरा चेहरा नज़र को

कुछ नमी अपने साथ लाता है ।
जब भी तेरा ख़याल आता है ।।

देख कर ही सुकून मिलता है ।
तेरा चेहरा नज़र को भाता है ।।

कुछ भी रहता नहीं है यादों में ।
वक़्त लम्हों में बीत जाता है ।।

रास्तों पर सभी तो चलते हैं ।
कौन मंज़िल को अपनी पाता है ।।

मैं भी हो जाती हूँ ग़ज़ल जैसी ।
वो ग़ज़ल जब कभी सुनाता है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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