तू भी तो
हाँ मैं चाहता था,
कि तू बेखबर नहीं हो मुझसे,
और देखे तू सच को आँखों से,
ताकि तुमको नहीं हो कल को,
यह पश्चाताप कि गलत कौन है,
और मेरी तरह चाहती होगी,
तू भी तो यह। क्यों ?
की है हमेशा मैंने प्रार्थना,
तुम्हारे खुश रहने के लिए,
तुम्हारे रोशन होने के लिए,
तुम्हारे चमन की आबादी के लिए,
और की होगी ऐसी ही दुहा,
तुमने भी तू । क्यों ?
मैं हमेशा खामोश रहा हूँ ,
महफिल में किसी बहस में,
तुम्हारी मुस्कराहट के लिए,
चलता रहा हूँ काँटों में भी,
पीता रहा हूँ अपने ऑंसू मैं,
ताकि तुम्हारा दिल नहीं टूटे,
नहीं हो तुम्हारी बदनामी,
और बचाता रहा हूँ हमेशा,
लेकिन बचाई है मेरी जान,
तुमने भी तो कभी। क्यों ?
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)