तुम मेरे नसीब मे न थे

कुछ एहसास थे,कुछ जज़्बात थे
मेरे दिल मे छुपा हुआ तेरे लिए।
जो तुम्हें कई बार कहना चाह रहे थे
पर हम उसे आवाज न दे सके।
कुछ हालात हम दोनो के बीच ऐसे बने
हम बोलना चाह रहे थे तुमसे की दिल बात
पर हम तुम्हारे सामने बोल ही न सके।
कैसे बोलते हम अपनी दिल की जज्बात
जब तुम्हारे दिल मे कोई ओर था
और तुम उसके बारे मे हमे खुशी से बता रहे थे।
कैसे जाने देती मै तेरे चेहरे यह खुशी
तेरे प्यार खातिर मैने दिल मे ही
दबा दिया अपने दिल की सारी जज़्बात।
कहना चाह रहे थे कई बार तुम से
हम अपने प्यार का इजहार न कर सके।
खामोश हो गई वह मेरे दिल मे
खुद से जंग लड़ते-लड़ते।
कुछ ख्वाब सजाएँ थे हमने जो तेरे लिए
वह ख्वाब मेरे जीवन मे अधुरे-अधुरे रह गए ।
शायद रब को यह मंजूर न था
हम आए तुम्हारे बाँहो मे।
कोरा कल भी था मेरा जीवन
कोरा आज भी रह गया।
चाहा था कई बार तेरे संग
अपने जीवन मे प्यार का रंग भरना।
पर शायद तेरा प्यार न लिखा था
मेरे हाथों की लकीरों मे।
शायद मेरे नसीब मे न लिखा था
तेरा मेरे जीवन मे हमसफ़र बनना।
वर्ना न वह पल ऐसा आता
और न जाते तुम दुर कही मेरे जीवन से।
चलो लो कोई बात नही है
हमसफ़र नही बन पाए तो क्या हुआ।
हम दोस्त कल भी थे पक्के
दोस्त आज भी रहेंगे।
इस दोस्ती के नाम पर
फिर से जीवन की शुरूआत करेगें।
अनामिका