तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों
तुमसे मोहब्बत हमको नहीं क्यों।
हम बात तुम्हारी सुनते नहीं क्यों।।
नाराज तुमसे हम क्यों हैं इतना।
हम मिलने तुमसे आते नहीं क्यों।।
तुमसे मोहब्बत हमको—————–।।
करना जरा याद हमारा अतीत तुम।
तुमको मिले यदि फुर्सत कभी।।
गरीबी में दिन कितने गुजरे हमारे।
मगर तुमने दी नहीं मोहब्बत कभी।।
हमें याद आते हैं दिन वो अभी भी।
हम दर्द तुम्हारा समझते नहीं क्यों।।
तुमसे मोहब्बत हमको —————–।।
समझा है तुमने हमें अपना दुश्मन।
गले से लगाया गैरों को तुमने।।
होते रहे जब हम पर जुल्म तो।
सहारा दिया नहीं हमको तुमने।।
हमको रुलाया है किसने बोलो।
हम इज्जत तुम्हारी करते नहीं क्यों।।
तुमसे मोहब्बत मुझको——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)