Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2016 · 1 min read

तुमसे मिलु मैं कुछ इस तरह…

तुमसे मिलु मैं कुछ इस तरह, की कोई मुझे आवाज़ ना दे,
घुल जाउ तुममे इस कदर, की धड़कने मेरा साथ ना दे
कह जाउ तुमसे इस तरह, की कोई सुन भी ना पाये,
आंखे बयाँ करें और जुबां जज़्बात ना दे.

– © नीरज चौहान

Language: Hindi
3 Comments · 354 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
मौसम बदल रहा है
मौसम बदल रहा है
Anamika Singh
कुछ नहीं
कुछ नहीं
Dr fauzia Naseem shad
-आजकल मोहब्बत में गिरावट क्यों है ?-
-आजकल मोहब्बत में गिरावट क्यों है ?-
bharat gehlot
*शीत वसंत*
*शीत वसंत*
Nishant prakhar
Bhagwan sabki sunte hai...
Bhagwan sabki sunte hai...
Vandana maurya
माँ
माँ
अश्क चिरैयाकोटी
सोशल मीडिया पर
सोशल मीडिया पर
*Author प्रणय प्रभात*
2594.पूर्णिका
2594.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तख़्ता डोल रहा
तख़्ता डोल रहा
Dr. Sunita Singh
"कलयुग का मानस"
Dr Meenu Poonia
बेटियां
बेटियां
Madhavi Srivastava
प्रकृति प्रेमी
प्रकृति प्रेमी
Ankita Patel
*छंद--भुजंग प्रयात
*छंद--भुजंग प्रयात
Poonam gupta
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
तुम्हारे बार बार रुठने पर भी
तुम्हारे बार बार रुठने पर भी
gurudeenverma198
गं गणपत्ये! माँ कमले!
गं गणपत्ये! माँ कमले!
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
*रावण रामचंद्र ने मारा (गीत )*
*रावण रामचंद्र ने मारा (गीत )*
Ravi Prakash
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक दिन तो कभी ऐसे हालात हो
एक दिन तो कभी ऐसे हालात हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
VINOD KUMAR CHAUHAN
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
खुद को सम्हाल ,भैया खुद को सम्हाल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
नज़राना
नज़राना
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
घुटता है दम
घुटता है दम
Shekhar Chandra Mitra
ये ज़िंदगी क्या सँवर रही….
ये ज़िंदगी क्या सँवर रही….
Rekha Drolia
होली का रंग
होली का रंग
मनोज कर्ण
आँसू
आँसू
Satish Srijan
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
Shyam Sundar Subramanian
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
Babli Jha
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
कर्मठ व्यक्ति की सहनशीलता ही धैर्य है, उसके द्वारा किया क्षम
Sanjay ' शून्य'
Loading...