तुझ पर ही निर्भर हैं….

तुझे देख देख चलती हैं मेरी साँसे
जहाँ तु देखे वहाँ रुकती हैं आँखे..!
देखो न तुम मुड़ मुड़ के वर्ना कैसे जियेंगे..!..!..!
तेरी मर्जी हैं तो देखो …
नहीं तो… जिलेंगे तेरे बगैर..!!
पर… हां गुज़ारिश हैं तुझ से
दिल की मानो हरदम…!
हैं पाक बड़ी ये चाहत
कोई नहीं हैं शिकायत..!!
हैं शायद मर्जी रब की तो
पूरी होंगी चाहत की अर्जी…! !
रूह की तमन्ना हैं….
तेरी रूह में बस जाना हैं….
पर…फिर भी… वह तुझ पर ही निर्भर हैं…!!!!!!