Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2024 · 1 min read

तुझे पन्नों में उतार कर

तुझे पन्नों में उतार कर
मन की ख्वाहिश पूरी कर लूं,
कसक दबी बरसों से
लिखकर जी हल्का मै कर लूं।
रूह से जुड़े जज्बात मेरे,
चमका अक्षरसे वक्त गुलजार कर लूं।
खोई थी न जाने मैं कब से,
मुलाकात खुद से अब कर लूं।
स्वप्निल संसार से निकल कर
इज़हार खुद से ही कर लूं।
बीच राह में ही लुढ़क पड़ा अश्रु,
ओ, मेरी रचना तुझे बाहों में मैं भर लूं।
मिलन जुलना लगा ही रहता है,
अब इश्क खुद से ही कर लूं।
– सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान

1 Like · 160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने  में कामयाब जरूर हो
दूसरों के हितों को मारकर, कुछ अच्छा बनने में कामयाब जरूर हो
Umender kumar
पिछले पन्ने 9
पिछले पन्ने 9
Paras Nath Jha
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
Rj Anand Prajapati
बढ़ता उम्र घटता आयु
बढ़ता उम्र घटता आयु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कबीरा यह मूर्दों का गांव
कबीरा यह मूर्दों का गांव
Shekhar Chandra Mitra
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
50….behr-e-hindi Mutqaarib musaddas mahzuuf
sushil yadav
वक्त इतना बदल गया है क्युँ
वक्त इतना बदल गया है क्युँ
Shweta Soni
Oh, what to do?
Oh, what to do?
Natasha Stephen
कहानी- 'भूरा'
कहानी- 'भूरा'
Pratibhasharma
यादों के शहर में
यादों के शहर में
Madhu Shah
आभ बसंती...!!!
आभ बसंती...!!!
Neelam Sharma
सफलता
सफलता
Raju Gajbhiye
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30  न
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30 न
Shashi kala vyas
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
"बात पते की"
Dr. Kishan tandon kranti
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
kumar Deepak "Mani"
*भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )*
*भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )*
Ravi Prakash
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
आर.एस. 'प्रीतम'
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
पूर्वार्थ
शीर्षक: ख्याल
शीर्षक: ख्याल
Harminder Kaur
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
जिस्म से जान जैसे जुदा हो रही है...
Sunil Suman
बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं .....
बस तुम्हें मैं यें बताना चाहता हूं .....
Keshav kishor Kumar
हमको तेरा ख़्याल
हमको तेरा ख़्याल
Dr fauzia Naseem shad
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
अर्चना मुकेश मेहता
23/35.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/35.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वादे करके शपथें खा के
वादे करके शपथें खा के
Dhirendra Singh
Loading...