तुझसे बिछड़ने के बाद

एक रंग खो गया मेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
हुआ न कभी सवेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
जब से रूठी है तू , तकदीर भी रूठी मुझसे
मिला बस अंधेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
नाकाम ही रहा मैं ,चाह कर भी न रोक पाया
लूटा यूं मेरा बसेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
क्यूं की तेरी चाहत, क्यों इश्क़ हुआ तुमसे
हर खुशी ने मुंह फेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
जिसे पूजा दिन रात,की बंदगी मैने उम्र भर
निकला वो लुटेरा,तुझसे बिछड़ने के बाद।
सुरिंदर कौर