तुझमें वह कशिश है

तुझमें वह कशिश है, इसलिए तुम्हारी चाहत है।
इसलिए तुम्हारे मुरीद है,और तुमसे मोहब्बत है।।
तुझमें वह कशिश है ——————–।।
यह हसीन तुम्हारा चेहरा, लगता है माहताब।
करोगे तुम हमें रोशन, बनकर एक आफताब।।
आप ही हमारे ख्वाब हो, और आप ही इबादत है।
इसलिए तुम्हारे मुरीद है, और तुमसे मोहब्बत है।।
तुझमें वह कशिश है—————-।।
गुलशन महक उठते हैं, आपके हंस जाने पर।
नृत्य करते हैं पंछी सारे, गीत तुम्हारे गाने पर।।
सरगम हमारी आप है, यह आपकी इनायत है।।
इसलिए तुम्हारे मुरीद है, और तुमसे मोहब्बत है।।
तुझमें वह कशिश है—————–।।
आबाद हमारा जीवन होगा, साथी तुम्हारे बनने से।
चमकेगा हमारा तुमसे नसीब, साथ तुम्हारे जीने से।।
सीने लगाया आपने , यह आपकी शराफत है।
इसलिए तुम्हारे मुरीद है, और तुमसे मोहब्बत है।।
तुझमें वह कशिश है—————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)