तितलियाँ

रंग बिरंगे फूलों पर
देखो कैसे मंडराते तितलियाँ
इधर उधर से झूम झूम कर
देखो कैसे इठलाती तितलियाँ
रंग बिरंगे पंखों वाली
कितनी सुंदर कितनी निराली
जब भी उसे तुम छूने जाओ
फूर से फुदक कैसे उड़ जाते
लाल पीली और नीली तितलियाँ
पौधे के फूल से ले आती रस
नन्हें-नन्हें कोमल पंखों को
कैसे वह सजाती है
लाल पीली और नीली तितलियाँ
खूब उमंग में उड़ती है
इधर उधर खूब मजे से गाती है
कितने कोमल सुंदर वह
मन को कितने भाती तितलियाँ
बच्चों को तू न्यारी तितलियां
सबको तू प्यारी तितलियां
फूल फूलों पर मंडराती है
फूलों से मीठे रस चुराती है
जब भी पकड़ने जाओ तो
झट से उड़ जाती है
मन को मोह लेती तितलियाँ
तू जग की प्यारी तितलियाँ
कवि:-राजा कुमार ‘चौरसिया’
सलौना, बखरी, बेगूसराय