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27 Jun 2024 · 1 min read

तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,

तवाफ़-ए-तकदीर से भी ना जब हासिल हो कुछ,
बहतर है की हाल को बेहाल छोड़ा जाए,
जो गर उसूल-परस्ती बढ़ जाए सब हदों से,
बहतर होगा की सब उसूलों को तोड़ा जाए

तवाफ़-ए-तकदीर: तकदीर के चक्कर लगाना, भाग्य के इर्द-गिर्द घूमना
उसूल-परस्ती: उसूलों का पालन करना, आज्ञा का पालन

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